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अनुभूति में हरे राम समीप की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अपनी मुहब्बत बनी रहे
क्या अजब दुनिया
क्या हुआ उपवन में
तू भूख, प्यास, जुल्म
सवाल काग़ज़ पर

अंजुमन में-
दावानल सोया है कोई
बदल गए हैं यहाँ
वेदना को शब्द
स्याह रातों में
हमको सोने की कलम

दोहे-
आएगी माँ आएगी
गर्व करें किस पर
प्रश्नोत्तर चलते रहे

छंदमुक्त में-
आस न छोड़ो
कविता भर ज़मीन
धीरज
पूजा
योगफल
शब्द
शोभा यात्रा
सड़क
सेल

 

  हमको सोने की कलम

हमको सोने की कलम, चांदी की स्याही चाहिए
शेर कहने के लिए साकी, सुराही चाहिए

रख दिए हैं ताक पर सबने ही अब जलते सवाल
आज के फ़नकार को बस वाहवाही चाहिए

खून से लथपथ पड़ा है हर कदम पर आदमी
क्रूरता की और क्या तुझको गवाही चाहिए

खौफ बेचा जा रहा, बाज़ार में कम दाम पर
क्योंकि ज़ालिम को मुनाफे में तबाही चाहिए

सिर्फ कहने के लिए, जम्हूरियत है देश में
आज भी आवाम को, जिल्लेइलाही चाहिए

आपकी बातों में आकर, आपके हम हो लिए
क्या पता था, आपको भी बादशाही चाहिए

१३ अप्रैल २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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