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                   हर जगह आकाश 
					बोले और सुने जा रहे के बीच जो 
					दूरी है 
					वह एक आकाश है 
					मैं खूँटी से उतार कर एक कमीज पहनता हूँ 
					और एक आकाश के भीतर घुस जाता हूँ 
					मैं जूते में अपना पाँव डालता हूँ 
					और एक आकाश मोजे की तरह चढ़ जाता है 
					मेरे पाँवों पर 
					नेलकटर से अपने नाखून काटता हूँ 
					तो आकाश का एक टुकड़ा कट जाता है 
					 
					एक अविभाजित वितान है आकाश 
					जो न कहीं से शुरू होता है न कहीं खत्म 
					मैं दरवाजा खोल कर घुसता हूँ, अपने ही घर में 
					और एक आकाश में प्रवेश करता हूँ 
					सीढ़ियाँ चढ़ता हूँ 
					और आकाश में धँसता चला जाता हूँ 
					आकाश हर जगह एक घुसपैठिया है 
					 ४ मार्च २०१२  |