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अनुभूति में डा. सरस्वती माथुर की रचनाएँ -

हाइकु में-
सर्द दिन

माहिया में-
धूप छाँह सा मन

छंदमुक्त में-
खेलत गावत फाग
गुलाबी अल्हड़ बचपन
मन के पलाश
महक फूलों की
माँ तुझे प्रणाम

क्षणिकाओं में-
आगाही
एक चट्टान

संकलन में-
वसंती हवा-फागुनी आँगन
घरौंदा
धूप के पाँव-अमलतासी धूप

नववर्ष अभिनंदन-नव स्वर देने को

 

 

सर्द दिन

कँपकँपाते
जमते सर्द दिन
अलाव ढ़ूँढते

किरण बुने
सूरज चरखे पे
पूनी से धूप

कुम्हार सूर्य
धूप की चाक पर
किरणें गढ़े

ख्यालों में चले
किसके पदचाप
मन हवा-सा

घास नोंक पे
ओस बूँद झूलती
हवा के साथ

भीगा मौसम
बीज सी दबी यादें
अँखुवा गईं

भोर पहने
सूर्य की कलाई पे
धूप की घड़ी

मदारी सूर्य
धूप की पुतलियाँ
नचाये रोज

ललाती साँझ
नभ की पाग पर
कलँगी लगे

साँझ बुढ़िया
नभ के चरखे पे
रात कातती

सूर्य जगाये
कचनारी भोर को
धूप छिड़क

1 फरवरी 2007

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