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अनुभूति में श्यामल सुमन की रचनाएँ-

मुक्तक में-
चेतना (चार मुक्तक)

दोहों में-
दोहों में व्यंग्य
नेता पुराण

हार जीत के बीच में

अंजुमन में-
अभिसार ज़िंदगी है
कभी जिन्दगी ने
जीने की ललक
बच्चे से बस्ता है भारी
बाँटी हो जिसने तीरगी
मुझको वर दे तू
मुस्कुरा के हाल कहता
मेरी यही इबादत है
मैं डूब सकूँ
रोकर मैंने हँसना सीखा
रोग समझकर
साथी सुख में बन जाते सब
हाल पूछा आपने

कविताओं में-
आत्मबोध
इंसानियत
एहसास
कसक
ज़िंदगी
द्वंद्व
दर्पण
फ़ितरत 
संवाद
सारांश
सिफ़र का सफ़र

  रोग समझकर

रोग समझकर अपना जिसको अपनों ने धिक्कार दिया।
रीति अजब कि दिन बहुरे तो अपना कह स्वीकार किया।।

हवा के रुख संग भाव बदलना क्या इन्सानी फितरत है।
स्वागत गान सुनाया जिसको जाने पर प्रतिकार किया।।

कलम बेचने को आतुर हैं दौलत, शोहरत के आगे।
लिखना दर्द गरीबों का नित बस बौद्धिक व्यभिचार किया।।

बातें करना परिवर्तन की, समता की, नैतिकता की।
जहाँ मिला नायक को जो कुछ उसपर ही अधिकार किया।।

सुमन भी उपवन से बेहतर अब दिखते हैं बाज़ारों में।
काग़ज़ के फूलों में खुशबू क्या अच्छा व्यापार किया।।

१७ अगस्त २००९

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