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अनुभूति में डॉ. हरदीप संधु की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
गधा कौन
मिट्टी का घरौंदा
मेरे गाँव की फिरनी
रब न मिला

हाइकु कविता

हाइकु में-
सात हाइकु

  यह एक हाइकु आधारित कविता है।  इसमें एक कविता के बीच १४ हाइकु पिरोए गए हैं।

देखा चाँद उतरा
रोटी पकाए
तवे पर जो देखा
चाँद उतरा


लेकिन
ज़िक्र छेड़ा है आज जो
है किसी और ही चाँद का


एक वो चाँद
जो गगन का चाँद
देखा करती


हर दिन जिसे मैं
बहुत दूर है मुझसे
लेकिन उस चन्दा की


चाँदनी से ही
मैं आँचल अपना
हूँ भर लेती


प्रेम - गाथा में
चाँद सी चाँदनी की
होती है चर्चा


यह चाँदनी
मिलती है सबको
बिना ही खर्चा


हम सभी को भला क्यों

लगती प्यारी
ये चन्दा की चाँदनी
बता तू ज़रा

बिन चाँदनी
यह दिल किसी का
कभी न भरा


देखो खुदाई

उस खुदा की
मिलती है चाँदनी
हमें एक - सी


लेकिन .....
ज़िक्र छेड़ा है आज जो
है किसी और ही चाँद का ....
माँ बैठी थी चूल्हे पास


रोटी पकाए
तवे पर जो देखा
चाँद उतरा

अदभुत से
इस चाँद के बिना
न पेट भरे


आज हर कोई

रोटी सा चाँद
पाने को दिन - रात
एक जो करे

भूखा हो पेट
चाँद की ये चाँदनी
न भाए कभी


ओ मेरे चन्दा
किस काम की यह
तेरी चाँदनी

दे दे मुझे वो
रोटी एक वक्त की
ओ मेरा खुदा

देखो खुदाई
फिर उस खुदा की


चाँद तवे का
नहीं मिलता कभी
हमें एक - सा

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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