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ख़ुशी

ख़ुशी बस वो नहीं
जो देती है आपको-
केवल गुदगुदाने वाले क्षण !
ख़ुशी वो भी है
जो जज्ब कर लेती है
आपके अंदर की व्यथा,
और उभरने नहीं देती
आपके आतंरिक उदगार
और क्षोभ !!

क्योकि
मिलाने और खोने के
बीच की कड़ी ही
यह तय करती है कि-
आपकी मानसिकता क्या है ?
आडम्बर दर्शाना
या
पीडा पी जाना !

क्योकि
दोनों दृश्यों में
भावनाएं -
मानवीय आकाश पर
फितरत के कैनवास में
एक-दूसरे से
अलग रंग भरती है !!

२६ मार्च २०१२

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