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अनुभूति में श्रीकृष्ण सरल की रचनाएँ-

कविताओं में-
आँसू
छोड़ो लीक पुरानी
जवानी खुद अपनी पहचान
देश के सपने फूलें फले
देश से प्यार
धरा की माटी बहुत महान
नेतृत्व
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है
पीड़ा का आनंद
प्रेम की पावन धारा
मत ठहरो
मुझमें ज्योति और जीवन है
वीर की तरह
शहीद
सैनिक

  छोड़ो लीक पुरानी

छोड़ो लीक पुरानी छोड़ो
युग को नई दिशा में मोड़ो
छोड़ो लीक पुरानी छोड़ो

प्रेरक बने अतीत तुम्हारा
नए क्षितिज की ओर चरण हो,
नए लक्ष्य की ओर तुम्हारे
उन्मुख जीवन और मरण हो
रखे बाँध कर जो जीवन को
ऐसे हर बंधन को तोड़ो
छोड़ो लीक पुरानी छोड़ो।

बीत गया सो बीत गया वह
तुमको वर्तमान गढ़ना है
नया ज्ञान उपलब्ध जिधर हो
तुमको उसी ओर बढ़ना है
तुम जीवन के हर अनुभव से
जितना संभव ज्ञान निचोड़ो
छोड़ो, लीक पुरानी छोड़ो।

पास तुम्हारे अपनी संस्कृति
लक्ष्य, नया विज्ञान तुम्हारा,
नया सृजन इस महादेश का
अब यह हो अभियान तुम्हारा
करने पूर्ण नए लक्ष्यों को
सागर लांघों, पर्वत फोड़ो
छोड़ो, लीक पुरानी छोड़ो।

ज्ञान तर्क सम्मत शुभ होता
नहीं अंधविश्वास सुखद है,
ग्रहण करो सभी ज्ञान तुम
जो हितकर, जो तुम्हे सुखद है
ज्ञान श्रेष्ठ संपत्ति सभी की
जितना बने, ज्ञान धन जोड़ो
छोड़ो, लीक पुरानी छोड़ो।

१६ जून २००५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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