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अनुभूति में भारतेंदु मिश्र की रचनाएँ-

नए गीतों में-
अंधा दर्पन
गीत होंगे

मौत का कुआँ
रामधनी की माई
हमको सब सहना है

दोहों में-
सरिता के कूल

गीतों में-
कितनी बार
गयाप्रसाद
बाजार घर में
बाजीगर मौसम
बाँसुरी की देह दरकी
देखता हूँ इस शहर को
नवगीत के अक्षर
मदारी की लड़की
रोज नया चेहरा
वाल्मीकि व्याकुल है
समय काटना है

 

रामधनी की माई

रामधनी का बोझ उठाते
कभी नहीं अकुलाई
जलती हुई मोमबत्ती है
रामधनी की माई।

रामधनी मन से विकलांग
क्या जाने दुनिया के स्वाँग
भूख प्यास का ज्ञान न उसको
जाने उसकी माई
जल बिन मछली सी रहती है
रामधनी की माई।

कहने को उसके अपने हैं
टूटे सब उसके सपने हैं
चार घरों का चौका बासन
दिन भर करे कमाई
भूखे पेट रोज खटती है
रामधनी की माई।

सुना बहुत पर बात न जानी
क्यों बदली सरकार पुरानी
बदली है सरकार
तो क्या कुछ बदलेगा?
मुखिया जी से पूछ रही है
रामधनी की माई।

४ नवंबर २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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