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अनुभूति में भारतेंदु मिश्र की रचनाएँ-

नए गीतों में-
अंधा दर्पन
गीत होंगे

मौत का कुआँ
रामधनी की माई
हमको सब सहना है

दोहों में-
सरिता के कूल

गीतों में-
कितनी बार
गयाप्रसाद
बाजार घर में
बाजीगर मौसम
बाँसुरी की देह दरकी
देखता हूँ इस शहर को
नवगीत के अक्षर
मदारी की लड़की
रोज नया चेहरा
वाल्मीकि व्याकुल है
समय काटना है

 

समय काटना है

कहाँ जा रहे हो
समय काटना है!

अभी शब्द का काँच बिखरा हुआ है
बहुत दर्द है घाव उभरा हुआ है
बड़ी बात है
बात की तह जमी है
यही पास बैठो
समय काटना है!

अभी मोर की लाश पर हो रहे है
खिलौनों से बारूद वे बो रहे है
मगर क्या फिकर
मुट्ठियाँ तो कसी है
ये अख़बार पढ़ लो
समय काटना है!

अभी रोशनीघर उजाड़े गए है
अंधेरे में मुर्दे उखाड़े गए हैं
बड़ी रात है
शुक्र दिखता नहीं है
किरन फूटने दो
समय काटना है!

७ जनवरी २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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