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झाँकता बचपन

कोपलों ने फिर किया जादू
खिलखिलाया ठूँठ का आँगन

मृदु पवन ने देह सहलाई
किरन ने गुदगुदाया
खिलौने बनकर विहंग-
का झुण्ड आया

शाख आई पात आये
झाँकने फिर से लगा बचपन

स्वप्न ने अँगड़ाइयाँ लीं
सुगबुगाई आस
जिन्दगी की बन गई
पहचान नूतन प्यास

गीत आये मीत आये
दूर तक दिखता न सूनापन

१५ मार्च २०१७

 

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