अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में रमेश गौतम की रचनाएँ— 

नये गीतों में-
एक नदी
गीत जल संवेदना के
पाँखुरी नोची गई
मत उदास हो
मैं अकेला ही चला हूँ
शुभ महूरत

गीतों में-
मान जा मन
जादू टोने

शब्द जो हमने बुने

 

एक नदी

एक नदी
बनकर संवेदना
बहना अन्तर्मन के पास

गढ़ना
सम्बन्धों के सेतुबन्ध
ठहरें न मन के उद्गार
आर-पार
जाएँ अनुभूतियाँ
शब्दों का पाकर आधार

लहरों पर
तैरे अभिव्यंजना
नीर-क्षीर करती संत्रास

कल-कल
ध्वनि-पगों को साधना
आए न किंचित अवरोध
यात्रा में
भावुक मंदाकिनी
अधरों पर रखना युग-बोध

अस्ताचल
सूरज के साथ कहीं
डूबे न हिरनों की प्यास

गति-लय
स्वर व्यंजन में बाँधना
अन्तर्मुख अधरों की
पीर बैरागी
बोधिवृक्ष सींचना भर-भरकर

नयनों में नीर
अपनी मृदुभाषिणी तरंगों से
करुणा का लिखना इतिहास

६ अप्रैल २०१५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter