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अनुभूति में रमेश गौतम की रचनाएँ— 

नये गीतों में-
एक नदी
गीत जल संवेदना के
पाँखुरी नोची गई
मत उदास हो
मैं अकेला ही चला हूँ
शुभ महूरत

गीतों में-
मान जा मन
जादू टोने

शब्द जो हमने बुने

  जादू टोने

जादू टोने
जंतरमंतर की नगरी में
हम पता पूछते
घूम रहे अपने घर का

तोता मैना बनकर पिंजरों
में बंद हुए
जब भी महलों
के दरवाज़ों से हाथ छुए
अपने भविष्य की
गिनी चुनी रेखाओं का
मुँह खुला मिला
सब तरफ़ एक ही अजगर का

दंगों वाली तक़दीर हमारे
हिस्सों में

काटें कर्फ्यू के दिन
नफ़रत के किस्सों में
सीधे-साधी गलियों तक के
तेवर बदले
जब शुरू हुआ फिर
खेल यहाँ बाज़ीगर का

जब राजनर्तकी नाचेंगी
गलियारों में
कुछ आकर्षक मुद्राएँ
लेकर नारों में
सम्मोहन के मंत्रों-संकेतों में
खोकर
हम भूल जाएँगे
घाव, नुकीले पत्थर का।

३० नवंबर २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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