पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ७. २०१९

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कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

ये बताओ हे कुटज

 

 

ये बताओ हे कुटज! इन पत्थरों में
कौन देवा सींचता है तन तुम्हारा

सूखते जब भूमि के
जल स्रोत सारे
टूटते कब हौसले फिर
भी तुम्हारे
काटने पर्यावरण का
धुर प्रदूषण
गात धर लेते असंख्यक
पुष्प भूषण
देखकर हैरान होते शुष्क पर्वत
इन अभावों में खिला यौवन तुम्हारा

ख्यात कवियों की उपेक्षा
सह रहे हो
पर व्यथा अपनी कहाँ तुम
कह रहे हो
हे सजग प्रहरी प्रकृति के
मौन साधक!
तप्त लू होती नहीं क्या
कर्म-बाधक?
रस लुटाते हो निपट, नीरस विजन में
धन्य हो तुम, धन्य है जीवन तुम्हारा

- कल्पना रामानी
इस माह
कुटज विशेषांक में

गीतों में-

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ओमप्रकाश नौटियाल

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कल्पना रामानी

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कल्पना मनोरमा

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कृष्ण भारतीय

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गरिमा सक्सेना

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पंकज परिमल

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पूर्णिमा वर्मन

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मंजुलता श्रीवास्तव

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मधु शुक्ला

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मुकुटधर पांडेय

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रंजना गुप्ता

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रमा प्रवीर वर्मा

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राहुल शिवाय

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शशि पाधा

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शशि पुरवार

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शिवानंद सहयोगी

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श्रीधर आचार्य़ शील

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छंद में-

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ज्योतिर्मयी पंत

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परमजीत कौर रीत

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मंजु गुप्ता

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शैलेश गुप्त वीर

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अंजुमन में-

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आभा सक्सेना दूनवी

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पूर्णिमा जोशी

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सुरेन्द्रपाल वैद्य

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छंदमुक्त में-

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अमित धर्म सिंह

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी