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अनुभूति में अनिरुद्ध सिन्हा की रचनाएँ

अंजुमन में-
गुज़रे दिनों
घर की नाज़ुक बातों से
मजबूरियाँ के खौफ़
मेरी आँखों में आँसू हैं
मौसमे-गुल
सर्दी की तेज़ लू में

 

घर की नाज़ुक बातों से

घर की नाज़ुक बातों से समझाते हैं
आँखों के पत्थर भी नम हो जाते हैं

शासन के वैसे हम एक बिजूका हैं
बच्चे जिस पर पत्थर तेज़ चलाते हैं

नोच वही देते हैं सारी तस्वीरें
अपने भीतर सोच नहीं जो पाते हैं

रात भटकती, सुबह सरकती साँसों पर
दुविधाओं के जंगल भी उग आते हैं

परजीवी आकाश पकड़ती दुनिया के
खूनी पंजे वाले हाथ बढ़ाते हैं!

२४ अगस्त २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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