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अनुभूति में अनिरुद्ध सिन्हा की रचनाएँ

अंजुमन में-
गुज़रे दिनों
घर की नाज़ुक बातों से
मजबूरियाँ के खौफ़
मेरी आँखों में आँसू हैं
मौसमे-गुल
सर्दी की तेज़ लू में

 

मेरी आँखों में आँसू हैं

मेरी आँखों में आँसू हैं, ये ग़म तुमको मुबारक हो
तुम्हें ऐसा लगा तो ये वहम तुमको मुबारक हो

यहाँ बारिश नहीं होती, घटाएँ रोज़ छाती हैं
निगाहों में बिजलियों का भरम तुमको मुबारक हो

ज़रूरत के मुताबिक आइने को कर लिया तुमने
कोई पत्थर उठाने की कसम तुमको मुबारक हो

किसी के ज़ख़्म पे मरहम लगाकर ग़ैर से कहना
मुहब्बत में नुमाइश का क़दम तुमको मुबारक हो

ये मुमकिन तो नहीं लेकिन दिलों को तोड़ देती है
वफ़ा पर सादगी का ये सितम तुमको मुबारक हो!

२४ अगस्त २००९

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