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अनुभूति में अनिरुद्ध सिन्हा की रचनाएँ

अंजुमन में-
गुज़रे दिनों
घर की नाज़ुक बातों से
मजबूरियाँ के खौफ़
मेरी आँखों में आँसू हैं
मौसमे-गुल
सर्दी की तेज़ लू में

 

मजबूरियाँ के खौफ़

मजबूरियाँ के खौफ़ को समझा नहीं गया
चेहरा मेरा था, आईना देखा नहीं गया

जो फिर तमाम रास्ते भटकाव में रहा
वैसे सफ़र के बारे में सोचा नहीं गया

क़ातिल बना दिया मुझे, साबित हुए बिना
सच क्या है और झूठ क्या रक्खा नहीं गया

मौसम की तेज़ धूप में तन्हा न रह सका
वो खुश है उसको धूप में छो़ड़ा नहीं गया

माना कि नींद आँख से कुछ दूर थी मगर
यादों को टूटने से भी रोका नहीं गया!

२४ अगस्त २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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