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अनुभूति में अनिरुद्ध सिन्हा की रचनाएँ

अंजुमन में-
गुज़रे दिनों
घर की नाज़ुक बातों से
मजबूरियाँ के खौफ़
मेरी आँखों में आँसू हैं
मौसमे-गुल
सर्दी की तेज़ लू में

 

मौसमे-गुल

मौसमें-गुल तेरे आने का इशारा होगा
सर्द आहों में किसी ने तो पुकारा होगा

काँप उठती है लहर तेज़ हवा में ऐसे
झील में जैसे परिंदों का किनारा होगा

रोज़ होती है मुहब्बत में अदावत उनसे
आप कहते हैं, नहीं ऐसा दुबारा होगा

सिर्फ़ देखा था सलीके से हमारे ग़म को
अपने सीने में कहाँ हमको उतारा होगा

सोच लेना ये मुनासिब था, यही सोचा है
धूप आँगन में है, सूरज भी हमारा होगा!

२४ अगस्त २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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