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अनुभूति में अनिता मांडा की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आजकल
एक इबादल
कितना सुकूँ
सभ्यताएँ
सितारे रिश्ते इंसान

अंजुमन में-
किश्ती निकाल दी
गला के हाड़ अपने
पंख की मौज
लबों पर आ गया
शाम जैसे
 

 

शाम जैसे

शाम जैसे ढला नहीं करते
गम किसी का भला नहीं करते

मंजिलों की तलाश में हो तो
कोशिशों को ख़ला नहीं करते

हौसला तुम बुलंद यों रखना
रास्ते खुद चला नहीं करते

आसमाँ दे दिया तुझे सारा
चाँद से तो जला नहीं करते

इश्क़ का सा भरम लगे दिल को
आँख से जलजला नहीं करते

१ फरवरी २०१६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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