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अनुभूति में कुंवर बेचैन की रचनाएँ—

हाइकु में-
वर्षा हाइकु

गीतों में—
ओ बासंती पवन

दोहों में—
नौ दोहे

अंजुमन में—
अंगुलियाँ थाम के
कफ़न बाँधकर
करो हमको न शर्मिंदा
खुद को नज़र के सामने
दो दिलों के दरमियाँ
दोनो ही पक्ष
धुआँ
नीर की गठरी
प्यासे होंठों से
फिर युधिष्ठिर को पुकारा
बीती नहीं है रात
मत पूछिए

 

दो दिलों के दरमियाँ

दो दिलों के दरमियाँ दीवार-सा अंतर न फेंक
चहचहाती बुलबुलों पर विषबुझे खंजर न फेंक

हो सके तो चल किसी की आरजू के साथ-साथ
मुस्कराती ज़िंदगी पर मौत का मंतर न फेंक

जो धरा से कर रही है कम गगन का फासला
उन उड़ानों पर अंधेरी आँधियों का डर न फेंक

फेंकने ही हैं अगर पत्थर तो पानी पर उछाल
तैरती मछली, मचलती नाव पर पत्थर न फेंक

यह तेरी काँवर नहीं कर्तव्य का अहसास है
अपने कंधे से श्रवण! संबंध का काँवर न फेंक

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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