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अनुभूति में ममता किरण की रचनाएँ

नई रचनाएँ--
इक दूजे में
छुपा है दिल में
जाने कहाँ चले गए
याद आया
ये ख्वाहिश है

अंजुमन में—
आज मंज़र थे
कोई आँसू बहाता है
खुदकुशी करना
दायरे से
बाग जैसे गूँजता है पंछियों से
रात जाएगी सुबह आएगी
हवा डोली है
होली आई है

 

जाने कहाँ चले गए

जाने कहाँ चले गए वो ज़िन्दगी के पल
खुशियाँ थीं ढेर सारी कोई नहीं था छल

मुरझा गए हैं गुल यहाँ शायद इसीलिए
आबोहवा जो चाहिए वो ही गई बदल

जिसने बढ़ा चढ़ा के किया पेश स्वयं को
इस दौर में ऐसे ही लोग हो रहे सफल

दिल का कठोर था वो मगर बाप भी तो था
डोली चढ़ी जो बेटी तो आँखें हुई सजल

धन के नशे में चूर हैं शहज़ादे इस क़दर
बेख़ौफ हो के ज़िन्दगी को जा रहे कुचल

तारे हैं काफ़िये से और चाँद है रदीफ़
अहसास में जब उतरे तो हो गई ग़ज़ल

हर ओर ख़ौफ़, बेबसी है झूठ और फ़रेब
दुनिया के मायाजाल से तू ऐ ‘किरण’ निकल

३१ जनवरी २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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