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अनुभूति में ममता किरण की रचनाएँ

नई रचनाएँ--
इक दूजे में
छुपा है दिल में
जाने कहाँ चले गए
याद आया
ये ख्वाहिश है

अंजुमन में—
आज मंज़र थे
कोई आँसू बहाता है
खुदकुशी करना
दायरे से
बाग जैसे गूँजता है पंछियों से
रात जाएगी सुबह आएगी
हवा डोली है
होली आई है

 

याद आया

अपने बचपन का सफ़र याद आया
मुझको परियों का नगर याद आया

कोई पत्ता हिले न जिसके बिना
रब वहीं शाम-ओ-सहर याद आया

इतना शातिर वो हुआ है कैसे
है सियासत का असर याद आया

रोज़ क्यूँ सुर्ख़ियों में रहता है
है यही उसका हुनर, याद आया

जब कोई आस ही बाक़ी न बची
मुझको बस तेरा ही दर याद आया

जो नहीं था कभी मेरा अपना
क्यूँ मुझे आज वो घर याद आया

उम्र के इस पड़ाव पे आकर
क्यूँ जुदा होने का डर याद आया

माँ ने रख्खा था हाथ जाते हुए
फिर वही दीद-ऐ-तर याद आया

जिसकी छाया तले ‘किरण’ थे सब
घर के आँगन का शजर याद आया

३१ जनवरी २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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