अनुभूति में
राम मेश्राम की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इतना क्यों तू
कक्का जी
मैं महान हूँ
रोशनी से दिल का रिश्ता
सर में सौदा और कुछ था |
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मैं महान हूँ
मैं महान हूँ तू महान है
नूरा-कुश्ती का बयान है
अपने मुँह से कौन कहेगा
किसमें कितना बियाबान है
आरक्षण के महादेश में
हम सबको अवसर समान है
ट्रेड मार्क दुष्यंत हो गए
आज गज़ल चलती दुकान है
जय भूखों की, जय नंगों की
अपने सिर पर आसमान है
जनता पीसे कुत्ते खाएँ
यह सच्चा हिंदोस्तान है।
२ दिसंबर २०१३ |