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अनुभूति में राम मेश्राम की रचनाएँ-

अंजुमन में-
इतना क्यों तू
कक्का जी
मैं महान हूँ
रोशनी से दिल का रिश्ता
सर में सौदा और कुछ था

 

रोशनी से दिल का रिश्ता

रोशनी से दिल का रिश्ता टूटता है
हाय, किरणों का शजर भी सूखता है

जी रहा है सिर्फ़ कुदरत की बदौलत
गाँव अँधियारे में हर दिन डूबता है

सब फ़िदा हैं आज बिजली की अदा पर
कौन माटी के दिए को पूछता है

यह बुढ़ापा है कि बचपन की मुहब्बत
दास्तानों की गली में ढूँढता है

किस ज़माने में हुआ बागी कबीरा
आज तक जो शायरी में गूँजता है

२ दिसंबर २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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