अनुभूति में
सतीश कौशिक
की रचनाएँ-
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किसी के ख्वाब में
रेहन हुए सपने भी
सोचों को शब्द
अंजुमन में-
आ गजल कोई लिखें
दर-बदर ख़ानाबदोशों को
फिर हवा आई
सच को जिसने
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किसी के ख्वाब
में
किसी के ख़्वाब में उतरो किसी नज़र में रहो
किसी के दर्द को अपने जिगर का दर्द कहो
खिलो मुँडेर पे सूरज की किरण बन के कहीं
उजास बन के घरौंदे में या किसी के रहो
डरो न देख के दहशत का दौर रातों में
सुबह के रंग अँधेरों में सदा भरते रहो
नदी की शोख़-रवानी को कोसने वालो
कभी पहाड़ से उतरो नदी के साथ बहो
ना शब कटेगी ये रोने से या रुलाने से
उठे जो दर्द जिगर में तो कोई गीत कहो
१७ सितंबर २०१२
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