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अनुभूति में सतीश कौशिक की रचनाएँ-

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अंजुमन में-
आ गजल कोई लिखें
दर-बदर ख़ानाबदोशों को
फिर हवा आई
सच को जिसने

 

सच को जिसने

सच को जिसने भी सच कहा होगा
तन्हा-तन्हा सदा रहा होगा

ग़ौर से देख उसकी आँखों में
कोई ख़्वाबों का काफ़िला होगा

हँस के मिलता है बा-अदब सबसे
ये कोई शहर में नया होगा

आँख में उसकी कुछ नमी-सी थी
ख़त कोई देर से मिला होगा

यूँ ही तू मुन्तज़िर नहीं मेरा
मुझमें अपना-सा कुछ दिखा होगा

पूछ उससे जो राह में चुप है
उसको हर राह का पता होगा

ठीक हैं मेहरबानियाँ तेरी
कुछ तो मेरा भी हौसला होगा

९ जनवरी २०१२

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