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अनुभूति में दिनेश पारते की रचनाएँ-

आह्वान
बढ़े चलो
इक आग लगा ली है
गानवी
जयघोष
मौन भंग
शुभ कामनाएँ

 

बढ़े चलो

देश की एकता, अखंडता के लिए
बढ़े चलो साथियों तिरंगे की छाँव में!

मुश्किलों से हार तो हम मानते नहीं,
हौसला कम है न है जुनून की कमी,
अब कोई भी हमको कमज़ोर न समझे -
पल भर में नाप देंगे हम आसमाँ-ज़मीं,
जागृति की ज्योति जलाएँगे गाँव-गाँव में!
बढ़े चलो साथियो तिरंगे की छाँव में!

प्राणों से प्यारा हमको अपना वतन है,
प्रेम की फुलवारी है खुशियों का चमन है,
देवता गंधर्व इसकी करते आरती -
जयघोष के जयगान से गूँजा ये गगन है,
स्वर्ग-सा सुखमय जीवन है इसके पाँव में!
बढ़े चलो साथियो तिरंगे की छाँव में!

24 मार्च 2007

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