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समय और मैं

 

समय और मैं

मैं समय को मारता हूँ और मुझे समय
मुझमें न सदाशयता, उसमें न कुछ विनय।

धन क्वचित उपलब्धियाँ या यश तनिक मिला,
फूलकर गर्वित जगत में बस हमारी जय।

प्रतियोगियों को गिराया, षडयंत्र कर बढ़े,
सहन कर पाए नहीं, सह यात्री की विजय।

इसको दिया धोखा उसे गढ्ढे में धकेला,
लक्ष्य पाने में सफलता प्राप्त, यात्रा तय।

निश्चिंत रहने, जतन से एकत्र सब किया,
छीन ले कोई न कुछ भी, बना रहता भय।

पीटते-पीटते इतिश्री सुनिश्चित अपनी,
ठठाकर चलता रहेगा, चिर युवा समय।

१ मई २००६

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