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अनुभूति में कविता गुप्ता की रचनाएँ—

नयी रचनाओं में-
आसमान छूता बालक
चिड़िया
बिजूका
महसूसता हूँ गर्व
यह कौन सा वृक्ष है

छंदमुक्त में-
पिघलने के बाद
यों ही नहीं रोती माँ
राख का ढेर

  चिड़िया

एक अधमरी चिड़िया
गर्म तपती रेत पर फड़फड़ा रही चिड़िया
पहला-
डालडा का खोखा, रख देता उस पर
और करता
छड़ी से नित्य बार-बार प्रहार !
दूसरा-
रेशमी धागों का करके अपमान
बदलता, बनाता उन्हें रस्सियाँ
सुरक्षा के नाम पर
कर्तव्य की देता दुहाई
कभी पंख बाँधता
कभी चोंच और पगों में डालता
यों रेशमी धागे
जो, उस तक पहुँच बन जाते कोड़े
देने को फटकार !
तीसरा-
टाँगता है सुनहरा पिंजरा
घरौंदों का नाम दे कर
उसे, जिसे चाहिए तिनकों का घर
खुला आकाश और उन्मुक्त चहचहाना
उस पर होता है, ये बहाने का उपचार।

२३ दिसंबर २०१३

 

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