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अनुभूति में एन के सोनी की रचनाएँ—

कविताओं में-
थोड़ा-सा दर्द
शब्दों का ताना-बाना
साधारण संसार

अंजुमन में-
फटी कमीज़
धूप का टुकड़ा

  शब्दों का ताना-बाना

शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है।

शब्दों के आकार को जाना,
मात्रा के व्यवहार को जाना।
जोड़-तोड़ की भाषा सीखी
गीतों के शृंगार को जाना।
गीत बनाकर सबसे पहले तुम्हें सुनाया है,
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है।

कहीं की माटी कहीं का रोडा,
कहीं से तोड़ा, कहीं पे जोड़ा।
कहीं से चूना लाकर हमने
कहीं का पत्थर कहीं पे जोड़ा।
कतरा-कतराकर सपनों का महल बनाया है,
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है।

इस उपवन से फूल चुने हैं
उस बगीया से कलियाँ छाटी।
अपने कडवे अनुभवों से,
लेकर उनको खुशबू बाँटी।
हार बनाकर जीवन को गुलज़ार बनाया है,
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है।

आशाओं के चुनकर तिनके,
विश्वासों की बल्लियाँ।
स्नेह-प्यार का घास-फूस
कुछ अपनेपन की कलियाँ।
बाँध के सबको छोटा-सा संसार बनाया है,
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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