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अनुभूति में प्रदीप मिश्र की रचनाएँ

कविताओं में-
तुम नहीं हो शहर में
कनुप्रिया
ज़िन्दा रहने के लिये
दुख जब पिघलता है
पहाड़ी नदी की तरह
पायदान पर
फिर कभी
फिर तान कर सोएगा
फूलों को इंतज़ार है
महानगर
मेरे समय का फलसफा
मैं और तुम
वायरस

स्कूटर चलाती हुई लड़कियाँ
सफेद कबूतर

डूबते हुए हरसूद पर-
एक दिन
जब भी कोई जाता
पाकिस्तान से विस्थापित
फैली थी महामारी
बढ़ रहा है नदी में पानी
सुनसान सड़क पर

संकलन में
नया साल- यह सुबह तुम्हारी है

  फिर कभी

मस्जिद में
अदा करनी है नमाज़
पढ़ना है वेद मंदिरों में
पाताल लोक में उतरना है
स्वर्ग में लगानी है छलांग

साफ़ करने है
मुल्ला जी की ढाढ़ी में से तिनके
और पंडित जी की जनेऊ पर जमी मैल
आख़री बच्चे का पेट
दूध से भरना है
फ़सल पर करना है छिड़काव
कीटनाशकों का

इस जर्जराती हुई व्यवस्था के ख़िलाफ
लिखनी है तमाम कविताएँ

फिर कभी बैठेंगे फुर्सत में
पलाश के नीचे
तुम अंगूठे से कुरेदना धरती
मैं तोडूँगा नर्म घास की फुनगियाँ।

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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