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अनुभूति में प्रत्यक्षा की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
इच्छा
एक ख़ामोश चुप लड़की
कोई शब्द नहीं
छुअन
तांडव
दो छोटी कविताएँ
प्रतिध्वनि
पीले झरते पत्तों पर
मल्लिकार्जुन मंसूर
माँ
मेरी छत
मोनालिसा

मौन की भाषा
याद
रात पहाड़ पर
लाल बिंदी
सुबह पहाड़ पर

संकलन में-
दिये जलाओ- लाल सूरज हँसता है
प्रणय गीत

दीपावली
मौसम- मौसम
गुलमोहर- गुलमोहर: तीन दृश्य

मोनालिसा

एक खुशबू का दायरा मेरे चारों ओर है
भूली बिसरी पुरानी चिठ्ठी से यादों की
महक, सोंधी-सी फैल जाए जैसे

किताबों के बीच रखी कई साल पहले की
सूखी पंखुड़ियों से कोई याद ताज़ा
हो जाए जैसे

मन बार बार पीछे क्यों भागे
कभी हिरण की कुलांचे
कभी धीमे-धीमे एक पग और एक पग

एक थाप उँगलियों से ऐसे
कि सुना अनसुना हो जाए
कोई संगीत बज जाए और मन
नृत्यरत हो जाए
बाहर से शांत, सौम्य, मोनालिसा-सी मुस्कुराहट
पर अंदर ही अंदर झूमताल बार-बार

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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