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अनुभूति में प्रीत अरोड़ा की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
आज का इनसान
बाल अपराधी

बेटियाँ पराया धन
सपने देखा करो
प्रकृति का तांडव

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प्रकृति का तांडव

क्या कहने भई, मानव -सोच के
चाँद पर घर बनाने
कल्पना के घोड़े दौड़ा कर
स्वयं बना बैठा संसार अपना
विज्ञान की अनोखी तरक्की
दुनिया कर ली मुट्ठी मे
पर्यावरण प्रदूषण,ग्लोबल वार्मिंग
प्रकृति सुलग गयी, लपटे उठी बट्ठी में
देखो प्रकृति का अजब नजारा
पहले भूकंप, फिर सुनामी
न जाने कब रुकेगी प्रकृति की ये मनमानी
कालचक्र का तांडव कर रहा है जान-माल की हानि
आदमी कितना हुआ बौना खुदा के आगे
अब रुक जाये कहर,ये दुआ मांगे
प्रकृति से छेड़ -छाड करना
कितना पड़ा मंहगा
जापान -प्रलय ने कर दिया
मानव को नंगा

१८ अप्रैल २०११

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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