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अनुभूति में प्रीत अरोड़ा की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
आज का इनसान
बाल अपराधी

बेटियाँ पराया धन
सपने देखा करो
प्रकृति का तांडव

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सपने देखा करो

सपने देखा करो
पर हकीकत मत मानो,
क्योकि सपने तो
केवल सपने ही होते हैं .
जो हमारे अपने नहीं होते
यह हमे सुख-दुःख,
आनंद आदि का स्पर्श भर देते हैं

सपने किसी की याद दिलाते हैं
और याद दिलाने पर
हँसाते हैं, रुलाते हैं
एक अदभुत स्पर्श छोड़ जाते हैं
पर आँख खुलने पर वे सपने
केवल आखों में रह जाते हैं
जमीन पर उतर नहीं पाते हैं
सपने देखा करो,
पर हकीकत मत मानो

१८ अप्रैल २०११

 

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