अनुभूति में
संजय
आटेड़िया की
रचनाएँ -
छंदमुक्त में-
एक और अध्याय
कुछ रौबदार लोग
खूँटे से बँधे लोग
गाजरघास और विचार
माँ
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एक और अध्याय
अतीत के पृष्ठों में जुड़ गया
एक और अध्याय
उजली और स्याह
इबारतों में कैद होकर।
बदलती हैं तारीखें हर रोज
देती हैं हमें न्यौता
अवसरों को भुनाने का।
नई सुबह आती है रोज
खट्टे-मीठे अनुभवों से
रू-ब-रू कराने
देती है सीख
मानवता को निबाहने की
प्रेम बाँटने की
आँसू पोंछने की
मुस्कुराते रहने की
ऊहापोह को छोड़
अपने पराये को अपनाने की।
इसी तरह तो
जुड़ता है अतीत के पृष्ठों में
एक और अध्याय
१९ जनवरी २०१५
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