अनुभूति में
सौरभ राय भगीरथ
की
रचनाएँ -
छंदमुक्त में-
गाना गाया
चप्पल से लिपटी चाहतें
जूते
भौतिकी
संतुलन |
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चप्पल से
लिपटी चाहतें
चाहता हूँ
एक पुरानी डायरी
कविता लिखने के लिये
एक कोरा कागज
चित्र बनाने के लिये
एक शांत कोना
पृथ्वी का
गुनगुनाने के लिये।
चाहता हूँ
नीली – कत्थई नक्शे से निकल
हरी ज़मीन पर रहूँ।
चाहता हूँ
भीतर के वेताल को
निकाल फेकूँ।
खरीदना है मुझे
मोल भाव करके
आलू प्याज़ बैंगन
अर्थशास्त्र पढ़ने से पहले।
चाहता हूँ कई अनंत यात्राओं को
पूरा करना।
बादल को सूखने से बचाना चाहता हूँ।
गेहूँ को भूख से बचाना चाहता हूँ
और कपास को नंगा होने से।
रोटी कपड़े और मकान को
स्पंज बनने से बचाना चाहता हूँ।
इन अनथकी यात्राओं के बीच
मुझे कीचड़ से निकलकर
जाना है नौकरी माँगने…|
१ अप्रैल २०१३ |