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अनुभूति में शेखर मलिक की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
कविता
तुम्हारा मेरे साथ होना
दोपहर की बारिश
प्रश्न से विस्मय तक ! स्त्री
वह

 

दोपहर की बारिश

आज ढलती दोपहर
एकाएक फिर बारिश हुई...
कमरे में हम दोनों बारिश भर भीगते रहे
बारिश की मानिंद इस दोपहर
सब कुछ अनायास था -

एक गाढ़ा चुम्बन...
एक प्रेम कविता का पढ़कर सुनाया जाना...
एक देर तक हिलकती किलकारी...

अपनी सर्वोत्तम निजता के
आह्लादित कर देते क्षणों में
हम बारिश के प्रति
कृतज्ञता से विभोर हो उठे थे...!

७ जनवरी २०१३

 

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