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अनुभूति में शेखर मलिक की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
कविता
तुम्हारा मेरे साथ होना
दोपहर की बारिश
प्रश्न से विस्मय तक ! स्त्री
वह

 

प्रश्न से विस्मय तक ! स्त्री

मेरे मुँह में खाने का पहला कौर भरती...
माथा सहलाकर आँचल में छुपा लेती मेरा सर...
घाव पर नरम ऊंगलियों से
दवा लगाती और झुककर चूम लेती...एक मुस्कराहट देकर...
थके और दर्द से लरजते मेरे टखनों को चाप देती...
कोमलता से बतियाती हुई देर तक और
कभी अपने सीने से मेरा और कभी मेरे सीने पर अपना
सर लगा कर बच्ची की तरह सोती...

...माँ के बाद अब
पत्नी बनकर मातृत्व निभाती हुई...
तुम मेरे जीवन की एक
विलक्षण स्त्री हो...!

७ जनवरी २०१३

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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