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अनुभूति में श्यामल सुमन की रचनाएँ-

मुक्तक में-
चेतना (चार मुक्तक)

दोहों में-
दोहों में व्यंग्य
नेता पुराण

हार जीत के बीच में

अंजुमन में-
अभिसार ज़िंदगी है
कभी जिन्दगी ने
जीने की ललक
बच्चे से बस्ता है भारी
बाँटी हो जिसने तीरगी
मुझको वर दे तू
मुस्कुरा के हाल कहता
मेरी यही इबादत है
मैं डूब सकूँ
रोकर मैंने हँसना सीखा
रोग समझकर
साथी सुख में बन जाते सब
हाल पूछा आपने

कविताओं में-
आत्मबोध
इंसानियत
एहसास
कसक
ज़िंदगी
द्वंद्व
दर्पण
फ़ितरत 
संवाद
सारांश
सिफ़र का सफ़र

 

एहसास

मेरे मालिक तू बता दे क्यों बना ऐसा जहाँ।
सच को लाओ सामने तो दुश्मनी होती यहाँ।।

ख़्वाब बचपन में जो देखा वो अधूरा रह गया।
अनवरत जीने की ख़ातिर दे रहा हूँ इम्तहां।।

मुतमइन कैसे रहूँ जब घर पड़ोसी का जले।
है फरिश्ता दूर में अब आदमी मिलता कहाँ।।

हर कोई बेताब अपनी बात कहने के लिए।
सोच की धरती अलग पर सब दिखाता आसमाँ।।

ग़म नहीं इस बात का कि लोग भटके राह में।
हो अगर एहसास ज़िंदा छोड़ जाएगा निशां।।

मुश्किलों से भागने की अपनी फ़ितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमा।।

मिलती है खुशबू सुमन को रोज़ अब खैरात में।
जो फ़क़ीरी में लुटाते अब यहाँ फिर कल वहाँ।।

16 मई 2006

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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