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अनुभूति में श्यामल सुमन की रचनाएँ-

मुक्तक में-
चेतना (चार मुक्तक)

दोहों में-
दोहों में व्यंग्य
नेता पुराण

हार जीत के बीच में

अंजुमन में-
अभिसार ज़िंदगी है
कभी जिन्दगी ने
जीने की ललक
बच्चे से बस्ता है भारी
बाँटी हो जिसने तीरगी
मुझको वर दे तू
मुस्कुरा के हाल कहता
मेरी यही इबादत है
मैं डूब सकूँ
रोकर मैंने हँसना सीखा
रोग समझकर
साथी सुख में बन जाते सब
हाल पूछा आपने

कविताओं में-
आत्मबोध
इंसानियत
एहसास
कसक
ज़िंदगी
द्वंद्व
दर्पण
फ़ितरत 
संवाद
सारांश
सिफ़र का सफ़र

  मैं डूब सकूँ

मैं डूब सकूँ इन आँखों में जो तेरी इजाजत हो जाए
इक डर है दिल के कोने में कुछ तुमको शिकायत हो जाए

जुल्फों की छाँव घनेरी हो जहाँ बैठ तपिश पे गीत लिखूँ
साँसों की गिनती में सरगम समझो कि इबादत हो जाए

तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर है प्यार तुम्हारी आँखों में
महसूस करो दिल की धड़कन तो दिल की हिफाजत हो जाए

एहसास तुम्हारे दिल में जो चेहरे की नफासत कहती है
कहीं चूक गया जो प्यार तेरा तो खुद से अदावत हो जाए

अनजान मिले थे हम दोनों पहचान पुरानी-सी लगती
पहचान वही लौटा दो मुझे एक बार हिमाकत हो जाए

आपस में मिलतीं चाहत जब तो इश्क वहाँ पर लाजिम है
इकरार करो बस लफजों से थोड़ी सी इनायत हो जाए

साँसों का केवल चलना क्या जीने की निशानी हो सकती?
कुछ प्यार सुमन पर बरसा दो जीवन भी सलामत हो जाए

२६ अप्रैल २०१०

 

 

 
 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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