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अनुभूति में सुरेन्द्र प्रताप सिंह की
रचनाएँ -

छंद मुक्त में-
खामोश हो जाता हूँ मैं
ज़िंदगी कविता या कवयित्री
पत्थर
ये सिमटते दायरे
विचार
श्रद्धा

 

 

ये सिमटते दायरे

नैतिकता का त्याग,
भौतिकता का वरण,
संवेदनशून्य ह्रदय,
रूग्ण मानसिकता,
आधुनिकतम, आधुनिकता !

विस्मृत होते आदर्श,
प्रेम, स्नेह, मृदुलता, विनम्रता !

सिमटती धरा,
विस्तृत होता संपर्क !
कब विस्तृत होंगे,
मानव संबंधों के
ये सिमटते दायरे ?

३ मई २०१०

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