अनुभूति में
उदय प्रकाश की
रचनाएँ—
छंदमुक्त में—
आँकड़े
उस दिन गिर रही थी नीम की एक पत्ती
एक अलग सा मंगलवार
गीतों में-
एक अकेले का गाना
ताना बाना |
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ताना बाना
हम हैं ताना हम हैं बाना।
हमीं चदरिया, हमीं जुलाहा, हमीं गजी, हम थाना।
नाद हमीं, अनुनाद हमीं, निश्शब्द हमीं, गंभीरा
अँधकार हम, चांद–सूरज हम, हम कान्हां, हम मीरा।
हमीं अकेले, हमीं दुकेले, हम चुग्गा, हम दाना।
मंदिर–मस्जिद, हम गुरुद्वारा, हम मठ, हम बैरागी
हमीं पुजारी, हमीं देवता, हम कीर्तन, हम रागी।
आखत–रोली, अलख–भभूती, रूप घरें हम नाना।
मूल–फूल हम, रुत बादल हम, हम माटी, हम पानी
हमीं यहूदी–शेख–बरहमन, हरिजन हम ख्रिस्तानी।
पीर–अघोरी, सिद्ध औलिया, हमीं पेट, हम खाना।
नाम–पता ना ठौर–ठिकाना, जात–धरम ना कोई
मुलक–खलक, राजा–परजा हम, हम बेलन, हम लोई।
हम ही दुलहा, हमीं बराती, हम फूंका, हम छाना।
हम हैं ताना, हम हैं बाना।
हमीं चदरिया, हमीं जुलाहा, हमीं गजी, हम थाना।
१६ मार्च २००६
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