अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में विनय कुमार की रचनाएँ—
कविताओं में—

नयी रचनाओं में-
आप चुप क्यों हैं
यादें
लिखना होगा कोई गीत
सिद्धांत
सृजन भ्रम

छंदमुक्त में-
चिठ्ठियाँ
तुम्हारी हँसी

 

लिखना होगा कोई गीत

जितनी बची होती है खुशबू
सूखे फूलों में
और जितनी बची होती है शर्म
उनकी आँखों में
उतने ही पैसे कमाता है
मंगला

सूरज के जगने
और रात की आँख लगने से पहले
मंगला पहुँच जाता है
मालिक के खेत पर

उसे यह आभास भी नहीं होता
कि कब सूरज उसके माथे चढ़ गया
और कितना लहू पसीना बनकर
घुल गया मिट्टी में
और धरती का कितना हिस्सा
पा गया जीवन
उसे तो फिक्र है इस बात की
जल्दी निबटाना है अपना काम
क्योंकि कुछ ही देर बाद
जब सूरज जा छिपेगा
दीवान जी की कोठी के पीछे
और उसका आँगन
चुप हो जाएगा अँधेरों की खामोशी में

अँधेरे की अँगड़ाई के साथ ही
मंगला निवृत्त हो गया है काम से
और आसमान में काला रंग फैलने से पहले
लौट आया है घर
गमछे में बाँधे रात का राशन
पत्नी ने जलाया है चूल्हा
और बैठ गई है पकाने चावल
चुल्हें में आँच तेज करते वक्त
फूट पड़ा है उसके गले से कोई गीत
भात बनने की महक हवा में घुलते ही
बढ़ गई है बच्चों की भूख
बस, भात पकने का इंतजार है
परन्तु हर रोज नहीं मिलता भात
मालिक देता है कभी-कभी
मजदूरी के बदले
माँ-बहन की गाली
उस दिन नहीं बजता
हांडी और कलछुल का संगीत
और चुल्हा भी
विधवा की सूनी माँग की तरह
उदास दिखता है
तब मंगला की आँखों में
झलकने लगता है
रात का भयावह चेहरा

पर इससे पहले
कि अँधेरा उसकी आँखों से उतरकर
उसकी छातियों में पसर जाए
और आँसू बन जाए बर्फ
हमें लिखना होगा मुक्ति का कोई गीत
मंगला के लिए

१२ मई २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter