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अनुभूति में शकुंतला बहादुर की रचनाएँ-

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छंदमुक्त में-
उधेड़बुन
कैलीफोर्निया में हिमपात
दूरियाँ
समय

 

कैलिफ़ोर्निया में हिमपात

टाहो झील पर -
हिमाच्छादित पर्वत-श्रेणी
शैलशिखर संग शोभित थी।
ओढ़ रुपहली चूनर मानो
वधू सदृश वह गर्वित थी।

ऊपर नभ का था वितान और
पवन झकोरे मंगल गाते।
खड़े संतरी से थे तरुवर
मानो थे पहरा देते।

उत्सव सा था सजा हुआ
जो देख प्रकृति भी पुलकित थी।
अपलक सी मैं रही देखती
मन में बड़ी प्रफुल्लित थी।

बाल-वृन्द हर्षित से होकर,
हिम-कन्दुक क्रीड़ा करते थे।
दूर वहीं पर मिलकर युवजन
हिम-मानव को रचते थे।

हिम के टीले सभी कहीं थे
धरा धवल सी दिखती थी।
दर्शनीय सा दृश्य वहाँ था
शोभा मन को हरती थी।

वातावरण भव्य था अतिशय
नीरवता सी छाई थी।
ज्यों अभिसार रचाने मानो
प्रकृति-सुन्दरी आई थी।

१५ दिसंबर २०१६

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