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 अनुभूति में 
शकुंतला बहादुर 
 
की रचनाएँ- 
दिशांतर में- 
अपने बन जाते हैं 
आकांक्षा 
मुक्ति 
सागर तीरे 
छंदमुक्त में- 
उधेड़बुन 
कैलीफोर्निया में हिमपात 
दूरियाँ 
समय 
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 मुक्ति 
 
साँस की  
ज़ंजीर से ही  
प्राण बन्धन में बँधे हैं  
 
और प्राणों से सदा ही 
मोह के रिश्ते जुड़े हैं  
 
पलक मुँदते  
साँस की ज़ंजीर टूटे 
मोह के ये तार भी सब 
झनझना इक साथ छूटें  
 
१ सितंबर २०२२ 
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