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अनुभूति में शशि पाधा की रचनाएँ

नए गीतों में-
कैसे बीनूँ, कहाँ सहेजूँ
चलूँ अनंत की ओर
मन की बात
मैली हो गई धूप

गीतों में-
आश्वासन
क्यों पीड़ा हो गई जीवन धन
पाती
बस तेरे लिए

मन रे कोई गीत गा
मौन का सागर
लौट आया मधुमास

संधिकाल

संकलनों में-
फूले कदंब- फूल कदंब

होली है- कैसे खेलें आज होली
नववर्ष अभिनंदन- नव वर्ष आया है द्वार
वसंती हवा- वसंतागमन

नवगीत की पाठशाला में-
कैसे बीनूँ
गर्मी के दिन

मन की बात

 

 

बस तेरे लिए

नीलम सी साँझ
चाँदी का चाँद
तारों के दीप
सागर की सीप
जोड़ी है मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये।

कोयल् की कूज
झरनों की गूँज
स्वर्णिम सी भोर
किरणों की डोर
बाँधी है मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये।

छेड़े हैं साज
वीणा के राग
सपनों के मीत
सावन के गीत
गाए हैं मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये।

केसर की गंध
क्षितिज के रंग
सावन का मेह
आँचल में नेह
ओढ़ा है मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये।

फूलों का हास
वासंती आभास
चातक की प्रीत
समर्पण की रीत
चाही है मैंने तेरे लिये
बस तेरे लिये
बस तेरे लिये

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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