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अनुभूति में शशि पाधा की रचनाएँ

नए गीतों में-
कैसे बीनूँ, कहाँ सहेजूँ
चलूँ अनंत की ओर
मन की बात
मैली हो गई धूप

गीतों में-
आश्वासन
क्यों पीड़ा हो गई जीवन धन
पाती
बस तेरे लिए

मन रे कोई गीत गा
मौन का सागर
लौट आया मधुमास

संधिकाल

संकलनों में-
फूले कदंब- फूल कदंब

होली है- कैसे खेलें आज होली
नववर्ष अभिनंदन- नव वर्ष आया है द्वार
वसंती हवा- वसंतागमन

नवगीत की पाठशाला में-
कैसे बीनूँ
गर्मी के दिन

मन की बात

 

पाती

हवाओं के कागद पे लिख भेजी पाती
क्या तुम ने पढ़ी ?

न था कोई अक्षर, न स्याही के रंग
थी यादों की खुशबू पुरवा के संग
घटाओं की चुनरी में बाँधी जो कलियाँ
क्या तुमने चुनीं ?

न वीणा के सुर थे, न अधरों पे गीत
न पायल की रुनझुन, न कोकिल संगीत
सागर की लहरों ने छेड़ी जो सरगम
क्या तुमने सुनी ?

बीती दोपहरी की ठंडी सी छाँव
गुलनारी थोड़ी सी, थोड़ी सी श्याम
किरणों ने नभ पर उकेरे संदेसे
क्या तुमने लिखे?

२० अप्रैल २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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