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अनुभूति में उषा राजे सक्सेना की रचनाएँ-

कविताओं में
अस्तित्व की पहचान
इंद्रधनुष
तितली उड़ी
पदचिह्न
पुनर्जनम
लंदन का वसंत
सर्मपण
यात्रा का आरंभ

अंजुमन में
जब भी कोई कहानी लिखना
ज़िन्दगी को स्वार्थ का
प्यार में भी कहीं
परिंदा याद का
फ़िज़ाँ का रंग
रात भर काला धुआँ

संकलन में-
ज्योति पर्व-दीपावली के आलोक मे
आशा के दीप
आलोक पर्व

  फिज़ा का रंग

फिज़ा का रंग अब बदला हुआ-सा लगता है
ये सारा शहर ही जलता हुआ-सा लगता है

हरेक शख्स़ यह कहता हुआ-सा लगता है
लहू का रंग कुछ बदला हुआ-सा लगता है

ये ऐसा दौर है जिसमें कि झूठ जीत गया
जो आज सच है वो हारा हुआ-सा लगता है

ज़रा ये सोचिये क्या बात है कि दुनिया में
हर एक आदमी सहमा हुआ-सा लगता है

हर-एक के दिल में कोई धुँध और धुआँ है 'उषा'
ये कैसा वक्त है जो ठहरा हुआ-सा लगता है

 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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