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अनुभूति में सोहनलाल द्विवेदी
की रचनाएँ -

कविताओं में -
अलि रचो छंद
खादी गीत
गिरिराज
नयनों की रेशम डोरी से
मातृभूमि
प्रकृति संदेश
पूजा गीत
जय राष्ट्र निशान
भारत
रे मन
वंदना
हिमालय

संकलन में -
तुम्हें नमन- युगावतार गांधी
मेरा भारत-
भारतवर्ष
वसंती हवा-
बसंत
जग का मेला- नटखट पांडे
ज्योति पर्व- जगमग जगमग

  जय राष्ट्रीय निशान!

जय राष्ट्रीय निशान!
जय राष्ट्रीय निशान!
जय राष्ट्रीय निशान!!

लहर-लहर तू मलय पवन में,
फहर-फहर तू नील गगन में,
छहर-छहर जग के आँगन में,

सबसे उच्च महान!
सबसे उच्च महान!
जय राष्ट्रीय निशान!!

जब तक एक रक्त कण तन में,
डिगें न तिल भर अपने प्रण में,
हाहाकार मचावें रण में,

जननी की संतान
जननी की संतान!
जय राष्ट्रीय निशान!

मस्तक पर शोभित हो रोली,
बढ़े शूरवीरों की टोली,
खेलें आज मरण की होली,

बूढ़े और जवान!
बूढ़े और जवान!
जय राष्ट्रीय निशान!!

मन में दीन-दुखी को ममता,
हम में हो मरने की क्षमता,
मानव मानव में हो समता,

धनी गरीब समान
गूँजे नभ में तान
जय राष्ट्रीय निशान!!

तेरा मेरुदंड हो कर में,
स्वतन्त्रता के महासमर में,
वफा शक्ति बन व्यापे उर में,

दे दें जीवन-प्राण!
दे दे जीवन-प्राण!
जय राष्ट्रीय निशान!!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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