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अनुभूति में देवल आशीष की रचनाएँ-

गीतों में-
एक बार जीवन में
गीत बन गया
टूटे हैं बंध सारे

पत्थर का देवता है
प्रिये तुम्हारी सुधि को
ये जीवन तुम्हारा
लौट आए

 

पत्थर का देवता है

पत्थर का देवता है,
पत्थर का आदमी है

टूटे हैं
बंध सारे, भीगे नयन तुम्हारे
डर है कहीं पलक से नदिया छलक न जाये
फिर भी प्रिये निभाना, दुख में भी मुस्कुराना
दुनिया हँसी ही देखे है,
आँसू न देख पाये
पलकों पे थाम रखना, आँखों में जो नमी है
मधुवन सी इस धरा पर, केवल यही कमी है
पत्थर का देवता है,
पत्थर का आदमी है

पत्थर पर
व्यर्थ गिरकर मोती टूट न जाये
दुनिया हँसी ही देखे है आँसू न देख पाये
टूटा है कौन कितना ये आकलन कहाँ है?
कोई दिये के दिल से
पूछे जलन कहाँ है?
ख़ुशरंग महफ़िलों में ऐसा चलन कहाँ है?
होता सफल वही जो हँस-हँस के दिल लगाए
दुनिया हँसी ही देखे है,
आँसू न देख पाये 

१० जून २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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