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अनुभूति में देवल आशीष की रचनाएँ-

गीतों में-
एक बार जीवन में
गीत बन गया
टूटे हैं बंध सारे

पत्थर का देवता है
प्रिये तुम्हारी सुधि को
ये जीवन तुम्हारा
लौट आए

 

लौट आए

यों दिल को भरम दिलाकर लौट आए
फूल पत्थर को चढ़ाकर
लौट आए

वो, कि जिसकी देन है धड़कन दिलों की
खोज में उसकी, पलटते हैं शिलाएँ
ग्रंथ के सब सार तो सीखे लगन से
पर नहीं समझे दुखी मन की व्यथाएँ

पाठ दुनिया को पढ़ाकर लौट आए
परकटे पंछी उड़ाकर
लौट आए

लोभ मन में लाभ का हर पल प्रबल है
भाल पर लेकिन सजा है लाल टीका
क्या करेंगे आचरण अपना बदलकर
पाप धोने का सरल है जब तरीका

पुण्य भी सँग में कमाकर लौट आए
भक्तजन गंगा नहाकर
लौट आए

१० जून २०१३

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